इन कारणों से बढ़ जाता है गॉलब्लैडर स्टोन का खतरा

Summary

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर असंतुलित हो जाता है या जीवनशैली अस्वस्थ होती है तब गॉलब्लैडर में स्टोन बनने का खतरा बढ़ जाता है तली-भुनी चीजों का अधिक सेवन, मोटापा, गर्भावस्था, डायबिटीज और लंबे समय तक उपवास रहना इसके प्रमुख कारणों में से हैं। इसके अलावा पारिवारिक इतिहास और हार्मोनल बदलाव भी इस समस्या का जोखिम बढ़ा सकते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और समय पर चिकित्सा जांच से इस स्थिति से बचाव किया जा सकता है।

गॉलब्लैडर यानी पित्ताशय शरीर का एक छोटा-सा लेकिन बहुत ही अहम अंग है, जो हमारे लिवर के नीचे मौजूद होता है। यह लिवर द्वारा बने बाइल (bile) को स्टोर करता है और आवश्यकता पड़ने पर इसे छोटी आंत में छोड़ देता है। लेकिन जब इस बाइल में मौजूद कोलेस्ट्रॉल, पित्त लवण और अपशिष्ट पदार्थ असंतुलित हो जाते हैं, तो गॉलब्लैडर में स्टोन (gallstones) बनने लगते हैं।

गॉलब्लैडर स्टोन की समस्या आजकल तेजी से बढ़ रही है और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर तकलीफों का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से गॉलब्लैडर में स्टोन (gallbladder stone causes) बनने का खतरा बढ़ जाता है

1. ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाली डाइट (High Cholesterol Diet)

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग फास्ट फूड, तली-भुनी चीजें और बाहर का जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं। इन चीजों में अनहेल्दी फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक होती है। जब शरीर में जरूरत से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है तो यह गॉलब्लैडर (पित्ताशय) के बाइल में इकट्ठा होकर धीरे-धीरे स्टोन का रूप ले लेता है। यही वजह है कि ज्यादातर मामलों में खराब खानपान गॉलब्लैडर स्टोन का सबसे बड़ा कारण (gallbladder stone reason) माना जाता है।

डॉ. अनुभव सांगवान, जनरल सर्जन, Miracles Apollo Cradle/Spectra, Gurgaon के अनुसार “गॉलब्लैडर स्टोन के मरीजों में अधिकतर केस असंतुलित खानपान और हाई कोलेस्ट्रॉल डाइट से जुड़े होते हैं। अगर लोग समय रहते अपनी डाइट में सुधार करें तो इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। तैलीय और जंक फूड को कम करना और फाइबर से भरपूर भोजन लेना सबसे पहला कदम होना चाहिए।”

क्या करें:

  • रोजाना की डाइट में ताजे फल, हरी सब्जियां, दालें और साबुत अनाज शामिल करें।

  • फाइबर से भरपूर खाना खाएं, क्योंकि यह पाचन को बेहतर बनाता है और बाइल को संतुलित रखता है।

  • पिज्जा, बर्गर, समोसे और पकोड़े जैसे तैलीय और जंक फूड से बचें।

2. मोटापा और ओवरवेट होना (Obesity and Being Overweight)

अत्यधिक वजन या मोटापा सिर्फ दिल और शुगर की बीमारी ही नहीं बढ़ाता बल्कि गॉलब्लैडर स्टोन बनने का भी बड़ा कारण बनता है। शरीर में चर्बी ज्यादा होने पर लिवर भी ज्यादा कोलेस्ट्रॉल बनाता है। यही अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल गॉलब्लैडर में जाकर जमा हो जाता है और स्टोन बनने का खतरा बढ़ा देता है। खासतौर पर पेट और कमर के आसपास जमा फैट इस समस्या को और बढ़ा सकता है।

क्या करें:

  • रोजाना कम से कम 30-35 मिनट वॉक या योग करें।

  • हेल्दी और बैलेंस डाइट लें।

  • शुगर और मैदे से बनी चीजों का सेवन कम करें।

3. तेजी से वजन कम करना (Losing Weight Fast)

कई बार लोग वजन घटाने की जल्दी में क्रैश डाइट, उपवास या ओवर एक्सरसाइज करने लगते हैं। ऐसा करने से शरीर के अंदर मेटाबॉलिज्म गड़बड़ा जाता है और बाइल साल्ट्स और कोलेस्ट्रॉल का बैलेंस बिगड़ जाता है। यह असंतुलन गॉलब्लैडर में स्टोन बनने की प्रक्रिया को तेज कर देता है।

क्या करें:

  • वजन घटाने का लक्ष्य धीरे-धीरे रखें, जैसे हर हफ्ते 0.5 से 1 किलो।

  • संतुलित डाइट के लिए डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लें।

  • शरीर को कमजोर करने वाली क्रैश डाइट से बचें।

4. प्रेग्नेंसी (Pregnancy)

महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव बहुत आम होते हैं। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जो गॉलब्लैडर की गतिविधियों को धीमा कर देता है। जब पित्ताशय से पित्त समय पर नहीं निकलता तो वह गाढ़ा हो जाता है और पथरी बनने लगती है। यही वजह है कि कई महिलाओं को गर्भावस्था या डिलीवरी के बाद गॉलब्लैडर स्टोन की समस्या हो जाती है।

क्या करें:

  • प्रेग्नेंसी के दौरान संतुलित और पौष्टिक आहार लें।

  • नियमित चेकअप और अल्ट्रासाउंड करवाते रहें।

  • फिजिकल एक्टिविटी जैसे हल्की वॉक करें।

5. डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Diabetes and Metabolic Syndrome)

डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले लोगों में भी गॉलब्लैडर स्टोन का खतरा ज्यादा होता है। ब्लड शुगर का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहने से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाता है, जो बाइल की क्वालिटी (quality of bile) को प्रभावित करता है। यही कारण है कि डायबिटीज (diabetes) रोगियों को पाचन संबंधी समस्याएं (digestion problem) और गॉलब्लैडर स्टोन (gallstone) दोनों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या करें:

  • शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें।

  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां समय पर लें।

  • हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज को जीवन का हिस्सा बनाएं।

6. पारिवारिक इतिहास (Family History)

अगर आपके माता-पिता, भाई-बहन या परिवार के किसी करीबी सदस्य को गॉलब्लैडर स्टोन की समस्या रही है, तो आपके लिए भी यह खतरा ज्यादा हो सकता है। यानी यह समस्या जेनेटिक भी हो सकती है।

क्या करें:

  • अगर आपके परिवार में यह समस्या रही है तो समय-समय पर अल्ट्रासाउंड जरूर कराएं।

  • खानपान और वजन पर खास ध्यान दें।

7. लंबे समय तक उपवास या अनियमित भोजन

आजकल की व्यस्त दिनचर्या में कई लोग लंबे समय तक बिना खाए रहते हैं या फिर समय पर भोजन नहीं करते। ऐसा करने से गॉलब्लैडर में बाइल लंबे समय तक जमा रहता है और गाढ़ा होकर स्टोन का रूप ले लेता है।

क्या करें:

  • दिनभर में छोटे-छोटे मील्स लेते रहें।

  • बहुत लंबे समय तक भूखे न रहें।

  • हर दिन एक निश्चित समय पर भोजन करने की आदत डालें।

8. उम्र और लिंग

गॉलब्लैडर स्टोन का खतरा उम्र और लिंग के आधार पर भी बदलता है।

  • 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है।

  • महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, गर्भावस्था और हार्मोन थेरेपी के कारण खतरा और भी ज्यादा होता है।

9. कुछ बीमारियां और दवाइयां

कुछ मेडिकल कंडीशन्स और दवाइयां भी गॉलब्लैडर स्टोन बनने का कारण बन सकती हैं, जैसे:

  • लिवर की बीमारियां: जिनसे बाइल का निर्माण प्रभावित होता है।

  • ब्लड डिसऑर्डर्स (जैसे सिकल सेल एनीमिया): जिनमें रेड ब्लड सेल्स का टूटना बढ़ जाता है और इससे गॉलब्लैडर पर असर पड़ता है।

  • कुछ दवाइयां (जैसे कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाएं): ये भी बाइल के कंपोजिशन को बदल सकती हैं।

क्या करें:

  • डॉक्टर से दवा लेने से पहले उसके साइड इफेक्ट्स के बारे में जरूर पूछें।

  • नियमित हेल्थ चेकअप करवाएं।

गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण Gallbladder Stone Symptoms

अगर पित्ताशय में स्टोन बन गया है, तो कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • पेट के दाहिने हिस्से में तेज या हल्का दर्द

  • मतली और उल्टी

  • खाने के बाद भारीपन महसूस होना

  • बदहजमी और गैस

  • पीली आंखें और त्वचा (जॉन्डिस जैसे लक्षण)

गॉलब्लैडर स्टोन का इलाज Gallbladder Stone Treatment in Hindi

गॉलब्लैडर स्टोन बनने के बाद हर व्यक्ति में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में छोटे स्टोन लंबे समय तक कोई दिक्कत नहीं देते, लेकिन कई बार यह दर्द, उल्टी, पीलिया और इंफेक्शन तक का कारण बन जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सही समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी है।

1. दवाइयों से इलाज

अगर स्टोन छोटे हैं और ज्यादा परेशानी नहीं कर रहे, तो डॉक्टर कुछ दवाइयां दे सकते हैं। ये दवाइयां धीरे-धीरे स्टोन को घोलने का काम करती हैं। हालांकि, यह तरीका लंबा समय लेता है और हर मरीज में कारगर नहीं होता।

2. सर्जरी (Cholecystectomy)

ज्यादातर मामलों में गॉलब्लैडर स्टोन का स्थायी इलाज सर्जरी ही माना जाता है। इसमें गॉलब्लैडर को पूरी तरह निकाल दिया जाता है ताकि दोबारा स्टोन बनने की समस्या न हो।

  • लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Cholecystectomy): यह आधुनिक और सुरक्षित तकनीक है जिसमें छोटे चीरे लगाकर गॉलब्लैडर को निकाला जाता है। इसमें कम दर्द होता है और मरीज जल्दी रिकवर कर जाता है।

  • ओपन सर्जरी (Open Surgery): अगर स्टोन बहुत बड़े हैं या कोई जटिलता है, तो ओपन सर्जरी करनी पड़ सकती है। हालांकि आजकल ज्यादातर मामलों में लैप्रोस्कोपिक तकनीक ही इस्तेमाल होती है।

 3. एंडोस्कोपिक प्रक्रिया

कुछ मामलों में जब स्टोन गॉलब्लैडर से निकलकर बाइल डक्ट में फंस जाते हैं, तो एंडोस्कोपिक तकनीक (ERCP) का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बिना बड़े ऑपरेशन के स्टोन को निकाला जा सकता है।

निष्कर्ष:

गॉलब्लैडर स्टोन की समस्या कई कारणों से हो सकती है जैसे ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, गर्भावस्था, डायबिटीज या अनियमित डाइट। अच्छी बात यह है कि सही खानपान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इससे बचाव किया जा सकता है। यदि आपको गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण महसूस हो रहे हैं या पेट में बार-बार दर्द होता है, तो देर न करें। आज ही मिरेकल्स हेल्थकेयर में अपने नजदीक के सर्वश्रेष्ठ जनरल सर्जन (general surgeon near you) से परामर्श लें। यहां अत्याधुनिक लैप्रोस्कोपिक तकनीक से पित्ताशय की पथरी का सुरक्षित और प्रभावी इलाज किया जाता है।


Frequently Asked Questions

गलत खानपान, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, गर्भावस्था, डायबिटीज और लंबे समय तक उपवास रहना गॉलब्लैडर स्टोन बनने के मुख्य कारण हैं।

गॉलब्लैडर स्टोन का आकार रेत के कण जितना छोटा या मार्बल जितना बड़ा हो सकता है, आमतौर पर 2 से 5 मिमी तक के स्टोन पाए जाते हैं।

हाँ, अगर स्टोन बड़ा हो जाए या बाइल डक्ट में फंस जाए तो यह तेज दर्द, संक्रमण या पित्ताशय फटने जैसी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।

तली-भुनी चीजें, ज्यादा तेल या घी वाले खाद्य पदार्थ, रेड मीट, फुल-फैट डेयरी और जंक फूड से परहेज करना चाहिए।

नींबू पानी, सेब का जूस और चुकंदर का जूस फायदेमंद होते हैं क्योंकि ये लिवर को साफ रखने और बाइल फ्लो सुधारने में मदद करते हैं।

हाँ, लो-फैट दही पाचन को बेहतर बनाता है और गॉलब्लैडर पर दबाव कम करता है, इसलिए सीमित मात्रा में लिया जा सकता है।

गुड़गांव में Miracles Apollo Cradle/Spectra के अनुभवी जनरल सर्जन पित्ताशय की पथरी के इलाज के लिए जाने जाते हैं, जहाँ एडवांस्ड लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।