बच्चों में बिस्तर गीला करने के 10 आम कारण
Summary
क्या आपका बच्चा भी सोते समय बार-बार बिस्तर गीला (bedwetting) कर देता है? हर रात, बच्चे को सुलाते समय लगभग हर माता-पिता को यह चिंता होती है कि कहीं उनका बच्चा फिर से बिस्तर गीला तो नहीं कर देगा। रात में सोते समय बच्चे का बिस्तर गीला करना (bedwetting) कोई नई बात नहीं है, यह समस्या 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों में काफी आम है। NIH के अध्ययन के अनुसार 5 वर्ष की आयु के 33%, 8 वर्ष की आयु के 18%, 11 वर्ष की आयु के 7% और 17 वर्ष की आयु के 0.7% बच्चे बिस्तर गीला करने की शिकायत करते हैं। लेकिन जब यह बार-बार होने लगे तो माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन सकता है। इसीलिए, इसके बार-बार होने के पीछे की वजह समझना ज़रूरी है
1. मूत्राशय (Bladder) का छोटा होना
कुछ बच्चों का ब्लैडर पूरी रात मूत्र को रोकने की क्षमता नहीं रखता इसीलिए वह जल्दी भर जाता है और बच्चा बिना जागे पेशाब कर देता है। यह समस्या विशेषकर उन बच्चों में होती है जिनका मूत्राशय शारीरिक रूप से छोटा होता है। कई बार ऐसे बच्चे दिन में तो सही तरीके से पेशाब कर लेते हैं, लेकिन रात में उनका ब्लैडर पूरी रात मूत्र को रोकने में असमर्थ होता है।
डॉ. राहुल अग्रवाल, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, गुड़गांव (pediatrician in gurgaon), मिरेकल्स अपोलो क्रेडल कहते हैं "यदि बच्चे का ब्लैडर छोटा है तो रात में बेडवेटिंग (bedwetting) होना सामान्य है। माता-पिता को धैर्य रखना चाहिए और बच्चे को डाँटने या शर्मिंदा करने की बजाय उसके साथ सही उपाय अपनाने चाहिए। डॉक्टर की मदद से ब्लैडर एक्सरसाइज और उचित नींद की आदतें विकसित कराई जा सकती हैं।"
2. गहरी नींद
कुछ बच्चे इतनी गहरी नींद में सोते हैं कि उन्हें ब्लैडर भरने का संकेत महसूस ही नहीं होता। यह आमतौर पर उन बच्चों में होता है जिनकी नींद बहुत भारी और गहरी होती है। परिणामस्वरूप, बच्चा अनजाने में रात में सोते समय बार-बार बिस्तर गीला कर देता है, भले ही उसे दिन में पेशाब करने की आदत हो।
3. जेनेटिक कारण (Genetics)
अगर माता-पिता में से किसी को बचपन में बिस्तर गीला करने की समस्या रही हो, तो बच्चों में भी ये समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। शोध के अनुसार बिस्तर गीला करने में आनुवंशिकी एक बड़ी भूमिका निभाती है।। यानी अगर परिवार में कोई बच्चा या माता-पिता बचपन में बेडवेटिंग से प्रभावित थे, तो नए बच्चे में भी यह देखा जा सकता है।
4. हार्मोनल असंतुलन
शरीर में एंटी-डाययूरेटिक हार्मोन (ADH) पेशाब को कम करने में मदद करता है, ताकि रात भर ब्लैडर में मूत्र बहुत ज्यादा न भर जाए। कुछ बच्चों में यह हार्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता। इसके कारण बच्चा रात में अधिक पेशाब करता है और बिस्तर गीला करने की समस्या बढ़ जाती है।
5. मूत्रमार्ग संक्रमण (UTI)
अगर बच्चे को बार-बार पेशाब आने की समस्या, जलन या दर्द हो, तो यह यूटीआई (Urinary Tract Infection) का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में ब्लैडर में जलन या संक्रमण होने के कारण बच्चा रात में भी पेशाब रोक नहीं पाता। यूटीआई के कारण बच्चों को दिन में भी बार-बार पेशाब की जरूरत महसूस हो सकती है।
6. कब्ज (Constipation)
कब्ज होने पर पेट में जमा मल ब्लैडर पर दबाव डालता है। इससे ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता और बच्चा रात में पेशाब रोकने में असमर्थ होता है। इसके कारण दिन में भी बच्चे की पेशाब करने की आदत प्रभावित हो सकती है और वह अनजाने में सोते समय बिस्तर भी गीला कर सकता है।
7. मानसिक तनाव और चिंता
नए स्कूल में एडजस्ट करना, परिवार में बदलाव या किसी तनावपूर्ण स्थिति का होना बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। तनाव और चिंता बच्चों की नींद और मूत्राशय नियंत्रण क्षमता दोनों पर असर डाल सकती है। मानसिक दबाव की वजह से बच्चा रात में बिस्तर गीला कर सकता है।
8. अत्यधिक तरल पदार्थ पीना
सोने से ठीक पहले बहुत ज्यादा पानी, दूध या अन्य पेय पीने से ब्लैडर भर जाता है। यदि बच्चा सोने से पहले तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लेता है, तो ब्लैडर को पूरी रात मूत्र रोकने में कठिनाई होती है।
9. मधुमेह (Diabetes)
कुछ बच्चों में बार-बार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना और थकान महसूस होना डायबिटीज का संकेत हो सकता है। ऐसे बच्चों में शरीर अधिक पानी बनाने लगता है, जिससे ब्लैडर जल्दी भर जाता है और बच्चा रात में पेशाब रोक नहीं पाता। यदि इन लक्षणों के साथ बच्चा बार-बार बिस्तर गीला करता है तो डॉक्टर से चेकअप करवाना बहुत ज़रूरी है।
10. नींद से जुड़ी समस्याएं
स्लीप एपनिया जैसी नींद की बीमारियां भी बेडवेटिंग (bedwetting) का कारण बन सकती हैं। इसमें बच्चे की नींद बार-बार टूटती है और ब्लैडर कंट्रोल प्रभावित होता है। नींद की ये समस्याएं बच्चे को रात में पेशाब रोकने में असमर्थ बनाती हैं।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
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यदि बच्चा 6–7 साल की उम्र के बाद भी बार-बार बिस्तर गीला कर रहा है।
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अगर बिस्तर गीला करने के साथ दर्द, जलन या खून जैसी समस्या दिखे।
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यदि दिन के समय भी बार-बार पेशाब लीक हो रहा हो।
इन परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
बच्चों में बिस्तर गीला करने का इलाज Bedwetting Treatment in Kids
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Behavioral Therapy (आदत सुधार):
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बच्चे को रात में बाथरूम जाने की आदत डालना।
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सोने से पहले तरल पदार्थ कम करना।
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नींद में जागने के लिए अलार्म/बैडवेटिंग अलार्म का उपयोग।
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मेडिकल ट्रीटमेंट:
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अगर हार्मोनल असंतुलन या अत्यधिक पेशाब बनना कारण है तो डॉक्टर दवा दे सकते हैं।
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मूत्रमार्ग संक्रमण या अन्य मेडिकल प्रॉब्लम होने पर सही इलाज जरूरी है।
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मनोवैज्ञानिक सहारा:
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बच्चे को डांटने की बजाय प्रोत्साहित करें।
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मानसिक तनाव कम करने के लिए बच्चे के साथ समय बिताएँ और उसे आरामदायक माहौल दें।
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निष्कर्ष:
बच्चों में बिस्तर गीला करना एक आम समस्या है और इसके कई कारण हो सकते हैं। माता-पिता को धैर्य रखना चाहिए और अपने बच्चे को शर्मिंदा किए बिना उचित उपाय अपनाने चाहिए। अगर समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो अपने नजदीकी बाल रोग विशेषज्ञ (pediatrician near you) से परामर्श लें और अपने बच्चे की जाँच करवाएँ।
Frequently Asked Questions
रात में बार-बार बिस्तर गीला करना, नींद में पेशाब निकल जाना, पेशाब की गंध और कभी-कभी बार-बार टॉयलेट जाने की आदत इसके लक्षण हैं।
सोने से पहले तरल पदार्थ कम दें, बच्चे को सोने से पहले टॉयलेट भेजें और जरूरत पड़े तो डॉक्टर से सलाह लें।
अच्छी नींद की आदतें, कब्ज का इलाज, तरल पदार्थ का नियंत्रण और चिकित्सा मदद से इसे रोका जा सकता है।
नहीं, बिस्तर गीला हमेशा बीमारी नहीं है। अक्सर यह बढ़ती उम्र के साथ ठीक हो जाता है, लेकिन बार-बार होने पर मेडिकल समस्या हो सकती है।
अगर बच्चा 6–7 साल की उम्र के बाद भी नियमित रूप से बिस्तर गीला करता है, या साथ में दर्द, जलन, प्यास ज्यादा लगना जैसी शिकायत हो तो यह समस्या है।
हाँ, लगातार गीले बिस्तर पर सोने से त्वचा पर दाने, लालपन और खुजली हो सकती है।
सपने में पेशाब करने का मतलब अक्सर यह होता है कि ब्लैडर भरा हुआ है और बच्चा जागे बिना पेशाब कर देता है।
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