महिलाओं की प्रजनन क्षमता घटने के ये कारण नजरअंदाज न करें
Summary
कभी सोचा है कि आजकल इतनी सारी महिलाएँ गर्भधारण में परेशानी क्यों झेल रही हैं? कई बार लोग कहते हैं “समय नहीं आया”, “तनाव ज़्यादा है” या “भगवान की मर्ज़ी”, लेकिन गुड़गांव में मिरेकल्स फर्टिलिटी एंड आईवीएफ क्लिनिक की वरिष्ठ प्रजनन विशेषज्ञ (fertility specialist in Gurgaon) डॉ. नेहा श्रिया के अनुसार, बदलती जीवनशैली, देर से शादी, हार्मोनल असंतुलन, बढ़ता प्रदूषण, और तनाव जैसे कारणों से महिलाओं में इनफर्टिलिटी (infertility) के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी कर रहे हैं। पहले के मुकाबले आज महिलाएँ करियर, जिम्मेदारियों और मानसिक दबाव के बीच अपना स्वास्थ्य कहीं पीछे छोड़ देती हैं जिसका असर सीधे प्रजनन क्षमता (fertility) पर पड़ता है। अब वक्त आ गया है कि हम इस विषय पर खुलकर बात करें, क्योंकि यह सिर्फ एक मेडिकल प्रॉब्लम नहीं, बल्कि एक सामाजिक और भावनात्मक मुद्दा भी है।
महिलाओं में बांझपन के कारण (female infertility causes): जानें इनफर्टिलिटी बढ़ने की असली वजह -
1. देर से शादी और लेट प्रेग्नेंसी
आज की महिलाएँ आत्मनिर्भर हैं और अपने करियर, आर्थिक स्थिरता और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देती हैं। लेकिन जब माँ बनने का निर्णय 30 वर्ष की उम्र के बाद लिया जाता है, तो प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी पर असर पड़ने लगता है। डॉ. नेहा के अनुसार, 35 साल के बाद अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता दोनों कम होने लगती हैं, जिससे गर्भधारण कठिन हो जाता है और बार-बार गर्भपात का जोखिम भी बढ़ सकता है।
समाधान: फर्टिलिटी की “बायोलॉजिकल क्लॉक” को रोका नहीं जा सकता, लेकिन एग फ्रीज़िंग (egg freezing) जैसी आधुनिक तकनीकें महिलाओं को भविष्य के लिए तैयार रहने का अवसर देती हैं। यदि आप करियर या अन्य कारणों से मातृत्व को टाल रही हैं, तो फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन के विकल्पों के बारे में अपने विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद जरूरी है।
2. PCOS और हार्मोनल असंतुलन
अध्ययन के अनुसार आज लगभग हर 10 में से 3 महिलाएँ PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) की समस्या से प्रभावित हैं। यह एक हार्मोनल विकार है जो ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है और मासिक धर्म चक्र को अनियमित बना देता है। साथ ही थायरॉयड या अन्य हार्मोनल असंतुलन भी गर्भधारण की संभावना को कम कर सकते हैं।
PCOS के सामान्य लक्षण:
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अनियमित पीरियड्स
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वजन बढ़ना
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चेहरे या ठुड्डी पर अनचाहे बाल
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मुंहासे या ऑयली स्किन
क्या करें:
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समय-समय पर आवश्यक टेस्ट करवाएँ
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वजन को नियंत्रित रखें
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तनाव कम करने पर ध्यान दें
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संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अपनाएँ
इन सरल उपायों से PCOS के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। महत्वपूर्ण है कि इसे अनदेखा न करें और शुरुआती चरण में ही विशेषज्ञ से परामर्श लें।
3. तनाव और अनहेल्दी लाइफस्टाइल
तेज़ रफ्तार जीवनशैली, नींद की कमी, देर रात तक स्क्रीन पर रहना और जंक फूड का सेवन रिप्रोडक्टिव हार्मोन के संतुलन को प्रभावित करता है। लंबे समय तक चलने वाला तनाव शरीर में कॉर्टिसोल (cortisol) हार्मोन बढ़ा देता है, जो ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है और प्रजनन क्षमता को धीरे-धीरे कम कर देता है।
समाधान:
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योग, ध्यान और टहलना जैसी सरल आदतें अपनाएँ
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मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें
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पर्याप्त नींद और सन्तुलित जीवनशैली बनाएँ
फर्टिलिटी केवल शरीर का नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन का भी परिणाम है।
4. मोटापा या बहुत पतला होना
वजन का असंतुलन भी महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। मोटापे में शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे ओव्यूलेशन (ovulation) रुक सकता है। वहीं, यदि वजन बहुत कम है, तो अंडों का निर्माण धीमा हो सकता है या रुक सकता है।
स्वस्थ फर्टिलिटी के लिए:
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BMI को 18.5 से 24.9 के बीच रखें
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संतुलित भोजन करें
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नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लें
वजन का संतुलन केवल दिखने के लिए नहीं, बल्कि स्वस्थ गर्भधारण के लिए भी जरूरी है।
5. प्रदूषण और पर्यावरणीय कारण
आज का वातावरण भी महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर रहा है। हवा, पानी और भोजन में मौजूद BPA, कीटनाशक और भारी धातुएँ अंडाणुओं की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
सुरक्षा उपाय:
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प्लास्टिक के बर्तनों की बजाय स्टील, कांच या मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करें
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घर का ताज़ा और ऑर्गैनिक भोजन खाएँ
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प्लास्टिक की बोतलों में बार-बार पानी पीने से बचें
छोटे बदलाव आपके प्रजनन स्वास्थ्य पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
6. रिप्रोडक्टिव इंफेक्शन और इलाज में देरी
कई बार सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STIs) या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (PID) फॉलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर देती हैं, जिससे अंडाणु और शुक्राणु का मिलन नहीं हो पाता।
महिलाएँ अक्सर इन लक्षणों को अनदेखा कर देती हैं:
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लगातार पेल्विक दर्द
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सफेद पानी (ल्यूकोरिया)
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अनियमित पीरियड्स
इन संकेतों को नजरअंदाज करना आगे चलकर इनफर्टिलिटी की बड़ी वजह बन सकता है। समय पर गाइनेकोलॉजिकल जांच और संक्रमण का इलाज करवाना बेहद जरूरी है। यदि संक्रमण बार-बार होता है, तो फर्टिलिटी विशेषज्ञ से विस्तृत सलाह लें।
7. बढ़ती उम्र और समय पर जांच की कमी
अक्सर महिलाएँ फर्टिलिटी जांच को तब तक टालती हैं जब तक समस्या गंभीर न हो जाए।
लेकिन 30 वर्ष की उम्र के बाद हर महिला को साल में एक बार फर्टिलिटी मूल्यांकन करवाना चाहिए।
जरूरी जांचें:
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AMH टेस्ट
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हार्मोन लेवल जांच
समय पर पहचान और इलाज से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है और भविष्य में जटिलताएँ कम होती हैं।
महिलाओं में इनफर्टिलिटी का इलाज Female Infertility Treatment
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IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन): IVF प्रक्रिया में अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है, जिसे बाद में महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह उन महिलाओं के लिए बेहद प्रभावी है जिन्हें प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण में कठिनाई होती है।
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IUI (इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन): IUI में पुरुष के शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि ओव्यूलेशन के समय गर्भधारण की संभावना बढ़ सके। यह विधि कम जटिलताओं वाली और अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया है, जो शुरुआती इनफर्टिलिटी के मामलों में अक्सर पहली पसंद होती है।
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Egg/Sperm Freezing (एग/स्पर्म फ्रीज़िंग): एग या स्पर्म फ्रीज़िंग उन महिलाओं और पुरुषों के लिए उपयोगी है जो अपने करियर, स्वास्थ्य या व्यक्तिगत कारणों से मातृत्व/पितृत्व को टालना चाहते हैं। यह तकनीक भविष्य में गर्भधारण की संभावना को सुरक्षित बनाए रखती है।
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PCOS और हार्मोनल असंतुलन का प्रबंधन: इसमें जीवनशैली सुधार, वजन प्रबंधन, दवा और नियमित फर्टिलिटी मॉनिटरिंग शामिल है, ताकि ओव्यूलेशन और प्रजनन क्षमता सामान्य हो सके।
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रिप्रोडक्टिव इंफेक्शन का इलाज: यदि महिला को किसी प्रकार का सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (PID) है, तो उसका समय पर उपचार बेहद आवश्यक है। हमारे विशेषज्ञ संक्रमण का सही तरीके से निदान और उपचार करते हैं, जिससे फॉलोपियन ट्यूब्स या अंडाणु की गुणवत्ता पर असर कम हो।
निष्कर्ष:
महिलाओं में इनफर्टिलिटी (female infertility) सिर्फ एक मेडिकल समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक स्तर पर भी चुनौती बन सकती है। देर से शादी, हार्मोनल असंतुलन, तनाव, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, प्रदूषण और रिप्रोडक्टिव इंफेक्शन जैसी कई वजहें प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं। यदि आप गर्भधारण में परेशानी झेल रही हैं या अपनी फर्टिलिटी को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना चाहती हैं, तो अभी अपने नज़दीकी सर्वश्रेष्ठ प्रजनन अस्पताल (fertility hospital near you) में प्रजनन विशेषज्ञ से अपॉइंटमेंट बुक करें। समय रहते कदम उठाकर आप अपने मातृत्व के सपने को सच कर सकती हैं।
Frequently Asked Questions
यदि महिला नियमित प्रयास के बावजूद एक साल तक गर्भधारण नहीं कर पाती, तो इसे बांझपन माना जाता है। डॉक्टर अक्सर हार्मोन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच से इसका पता लगाते हैं।
उपचार में ओव्यूलेशन इंडक्शन, IUI, IVF, और लाइफस्टाइल बदलाव शामिल हैं, जो कारण के अनुसार चुने जाते हैं।
बांझपन अक्सर अंडाणु, शुक्राणु, हार्मोनल असंतुलन या फॉलोपियन ट्यूब ब्लॉक के कारण होता है।
अंडे न बनने के कारणों में PCOS, उम्र बढ़ना, हार्मोनल असंतुलन, तनाव और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।

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