नवजात शिशुओं में हिचकी का कारण और सरल उपचार

- Overview
- बच्चों में हिचकी आना किसे कहते हैं? What is Hiccups in Infants?
- नवजात शिशुओं को हिचकी क्यों आती है? What Causes Hiccups in Newborn?
- बच्चों की हिचकी कैसे रोकें? जानिए 10 असरदार और सुरक्षित घरेलू उपाय How to Stop Hiccups in Newborn?
- क्या न करें जब बच्चे को हिचकी आए What Not to do When Your Baby has the Hiccups
- कब डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है? When is It Necessary to Contact a Doctor?
Summary: नवजात शिशु को हिचकी (hiccups in newborn) अक्सर गैस (gas), अधिक दूध पीने या डायाफ्राम के सिकुड़ने (Contraction of the diaphragm) के कारण होती है। इसके प्रभावी घरेलू उपायों में शिशु को डकार दिलाना (burping), गर्म पानी में स्नान कराना, और धीरे-धीरे दूध पिलाना शामिल हैं। अगर हिचकी बार-बार हो या शिशु को असुविधा हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है।
Overview
अगर आप पहली बार माता-पिता बने हैं, तो अपने छोटे बच्चे की हर हरकत पर आपकी नजर होना बिल्कुल स्वाभाविक है। ऐसे में जब नवजात शिशु को हिचकी (hiccups in newborn) आने लगे, तो यह आपके लिए चिंता का कारण बन सकता है। आप सोचने लगते हैं- क्या ये सामान्य है? कहीं कोई दिक्कत तो नहीं? घबराने की ज़रूरत नहीं है। दरअसल, बच्चों को हिचकी (hiccups in infants) आना एक नेचुरल प्रोसेस (natural process) है और यह नवजात शिशुओं में बहुत आम बात है। यह उनके शरीर के विकास का एक सामान्य हिस्सा हो सकता है। हालांकि, अगर हिचकी बार-बार आए या इसके साथ बच्चा असहज महसूस करने लगे, तो इसे नजरअंदाज करना सही नहीं होगा।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि हिचकी (hiccups) क्या होती है, नवजात शिशुओं को हिचकी क्यों आती है, इसे कैसे रोका जा सकता है, कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण, कब डॉक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है। अगर आप भी अपने नन्हे-मुन्ने की हिचकी (hiccups in infant) को लेकर चिंतित हैं, तो यह ब्लॉग आपके सभी सवालों का जवाब देगा।
बच्चों में हिचकी आना किसे कहते हैं? What is Hiccups in Infants?
हिचकी एक प्रकार की अनैच्छिक (involuntary) क्रिया होती है, जो तब होती है जब डायाफ्राम (diaphragm) जो कि हमारे सीने (chest) और पेट (stomach) के बीच की मांसपेशी है। अचानक सिकुड़ती है और वोकल कॉर्ड्स (vocal cords) बंद (close) हो जाते हैं, इस वजह से “हिक्” (hick) जैसी आवाज होती है। बड़ों की तरह, बच्चों में भी हिचकी (hiccups in infants) आना सामान्य है, लेकिन नवजात शिशुओं में यह ज़्यादा देखी जाती है क्योंकि उनका डायाफ्राम (diaphragm) पूरी तरह से विकसित नहीं होता।
नवजात शिशुओं को हिचकी क्यों आती है? What Causes Hiccups in Newborn?
नवजात शिशुओं में हिचकी (hiccups in newborn) के पीछे कुछ खास कारण होते हैं जिन्हें जानना माँ -बाप के लिए जरूरी है। आइए को विस्तार से समझते हैं:
1. तेजी से दूध पीना (Drink Milk Fast)
जब शिशु बहुत जल्दी-जल्दी दूध पीता है, तो केवल दूध ही नहीं, हवा भी उसके पेट में चली जाती है। यह निगली हुई हवा पेट में गैस (gas in stomach) बना सकती है, जिससे डायाफ्राम (diaphragm) पर दबाव पड़ता है। डायाफ्राम वह मांसपेशी होती है जो सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। डायाफ्राम पर अचानक दबाव पड़ने पर वह सिकुड़ने लगता है, जिससे नवजात शिशु को हिचकी (hiccups in newborn) आने लगती है। यह बोतल से दूध पीने वाले बच्चों (bottle-fed babies) में अधिक देखा जाता है, क्योंकि बोतल से दूध पीते समय हवा निगलने की संभावना ज्यादा होती है।
2. पेट का भर जाना (Overfeeding)
अक्सर माता-पिता यह सोचकर बच्चे को ज़रूरत से ज्यादा दूध पिला देते हैं कि वह भूखा रह न जाए। लेकिन अगर शिशु का पेट जरूरत से ज्यादा भर जाता है, तो इससे उसका पेट फूल (flatulence) सकता है और डायाफ्राम पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। यह दबाव हिचकी (hiccups) का कारण बनता है। कई बार नवजात दूध पीने के बाद ही हिचकी (hiccups in newborn after feed) लेने लगता है, जो इस बात का संकेत होता है कि शायद उसे थोड़ा ज़्यादा दूध पिला दिया गया है।
3. गैस और एसिड रिफ्लक्स (Gas and Acid Reflux)
गैस बनना (Gas) या एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) बच्चों में आम समस्या है, खासकर तब जब उनका पाचन तंत्र (digestive system) पूरी तरह विकसित नहीं होता। गैस या एसिड पेट से ऊपर की ओर आ सकता है, जिससे डायाफ्राम पर प्रभाव पड़ता है और हिचकी आ जाती है। कई बार जब बच्चा दूध पीने के बाद बार-बार मुंह से दूध निकालता है या रोते हुए असहज दिखता है, तो यह एसिड रिफ्लक्स का लक्षण (symptoms of acid reflux) हो सकता है। ऐसे में हिचकी इसके साथ एक कॉमन संकेत होती है।
4. तापमान में बदलाव (Change in Temperature)
छोटे बच्चों का शरीर तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील (sensitive) होता है। अगर बच्चा अचानक एयर कंडीशनर वाले कमरे (air conditioned rooms) से बाहर गर्म जगह पर आ जाए या फिर ठंडी हवा (cool breeze) के संपर्क में आ जाए, तो उसके शरीर को एक झटका लगता है। यह बदलाव भी डायाफ्राम को उत्तेजित कर सकता है, जिससे हिचकी आने लगती है। इसलिए बच्चों को तापमान में बदलाव (change in children temperature) से बचाकर रखना ज़रूरी होता है, खासकर तब जब वो छोटे हों।
5. डायाफ्राम की अपरिपक्वता (Immaturity of the Diaphragm)
नवजात शिशुओं (newborns) का शारीरिक विकास धीरे-धीरे होता है। जन्म के समय उनका डायाफ्राम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। ऐसे में यह मांसपेशी बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाती है, चाहे वो दूध पीने के बाद गैस के कारण हो या हल्के से तापमान परिवर्तन की वजह से। इसलिए शिशुओं को बार-बार हिचकी (frequent hiccups in infants) आना डायाफ्राम की इस अपरिपक्वता का नतीजा भी हो सकता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, यह समस्या अपने आप कम हो जाती है।
इस तरह, हिचकी आना कई कारणों से हो सकता है और हर कारण बच्चे के स्वास्थ्य और देखभाल से जुड़ा होता है। अब जब हमने यह जान लिया कि शिशुओं को हिचकी क्यों आती है, तो अगली बार जब आपके नन्हे-मुन्ने को हिचकी आए, तो आप घबराएंगे नहीं बल्कि समझदारी से उसकी वजह पहचान पाएंगे।
आइए अब जानें कि इन हिचकियों को रोका कैसे जाए और कौन-कौन से आसान घरेलू उपाय आपके काम आ सकते हैं।
बच्चों की हिचकी कैसे रोकें? जानिए 10 असरदार और सुरक्षित घरेलू उपाय How to Stop Hiccups in Newborn?
जब आपका नन्हा बच्चा बार-बार हिचकी लेने लगे, तो यह देखना वाकई परेशान करने वाला हो सकता है, खासकर अगर आप पहली बार माता-पिता बने हों। लेकिन अच्छी बात ये है कि अधिकतर मामलों में शिशु की हिचकी सामान्य होती है और इसे कुछ आसान घरेलू उपायों (hiccups in newborn remedy) से रोका जा सकता है।
गुड़गांव के सर्वश्रेष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ (the best pediatrician in Gurgaon) सुझाते हैं कुछ प्रभावी और सुरक्षित उपाय, जो आपके नन्हे शिशु को राहत पहुंचाने में मदद कर सकते हैं।
1. बच्चे को डकार दिलाएं (Burping)
दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार (burp a baby) दिलाना बेहद जरूरी है, क्योंकि दूध के साथ जो हवा अंदर जाती है, वो पेट में गैस बना सकती है और डायाफ्राम पर दबाव डाल सकती है। यही दबाव हिचकी की वजह बनता है।
कैसे करें:
बच्चे को अपने कंधे पर सीधा रखें और उसकी पीठ पर हल्के हाथों से थपथपाएं या गोल-गोल मालिश करें। यह प्रक्रिया तब तक करें, जब तक उसे डकार न आ जाए।अगर बच्चा डकार नहीं ले रहा है, तो थोड़ी देर बाद फिर से कोशिश करें।
2. फीडिंग पोजिशन का खास ध्यान रखें (Take Special Care of Feeding Position)
शिशु को दूध पिलाते समय उसकी स्थिति (position) सही रखना बेहद जरूरी है। अगर पोजिशन ठीक नहीं होगी, तो दूध के साथ हवा भी पेट में चली जा सकती है, जिससे बच्चे को हिचकी (hiccups in newborn)आने लगती है।
सही तरीका:
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बच्चे का सिर उसके पेट से थोड़ा ऊपर होना चाहिए।
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दूध पिलाते समय उसका सिर, गर्दन और शरीर एक सीधी रेखा में हों।
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बोतल से दूध देते वक्त बोतल को थोड़ा झुकाकर रखें, ताकि निप्पल में हवा न भरे।
3. धीरे-धीरे दूध पिलाएं (Feed the Milk Slowly)
तेज़ी से दूध पिलाने से शिशु हवा निगल सकता है। खासकर अगर आप बोतल से दूध दे रहे हैं, तो देखें कि निप्पल का फ्लो बहुत तेज न हो।
टिप्स:
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स्लो फ्लो निप्पल का चुनाव करें।
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हर 5-7 मिनट के अंतर पर ब्रेक दें और डकार दिलाएं।
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अगर बच्चा ब्रेस्टफीड कर रहा है, तो उसकी लैचिंग (सही ढंग से मुंह लगाना) चेक करें।
4. फीडिंग के बीच ब्रेक दें (Give Breaks Between Feedings)
अगर बच्चा लगातार दूध पी रहा हो, तो बीच-बीच में थोड़ा रुककर डकार दिलाना फायदेमंद होता है।
क्या करें:
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हर 5-7 मिनट में एक ब्रेक लें।
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इस दौरान बच्चे को हल्का सीधा बैठाएं और डकार दिलाएं।
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इसके बाद दोबारा फीडिंग शुरू करें।
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इससे दूध के साथ जो हवा अंदर जाती है, वह बाहर निकल जाती है और हिचकी से बचाव होता है।
5. बच्चे के पेट पर गुनगुना कपड़ा रखें (Use a Warm Cloth on the Baby’s Tummy)
अगर आपके बच्चे को लगातार हिचकी आ रही है, तो पेट पर हल्का गर्म कपड़ा रखने से डायाफ्राम को आराम मिल सकता है और हिचकी बंद हो सकती है।
कैसे करें:
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एक साफ मुलायम तौलिया लें।
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उसे हल्के गर्म पानी में भिगोकर निचोड़ लें ताकि केवल गर्माहट बाकी रहे।
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इसे धीरे से बच्चे के पेट पर रखें, ज़्यादा देर तक नहीं।
सावधानी: कपड़ा बहुत गर्म न हो, और हमेशा पहले अपनी कलाई पर गर्माहट चेक कर लें।
6. हल्की मालिश करें (Do a Light Massage)
पीठ और पेट पर हल्के हाथों से की गई मालिश से शिशु को आराम मिलता है और उसकी गैस निकलने में मदद मिलती है, जिससे हिचकी भी कम होती है।
कैसे करें:
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सरसों या नारियल के तेल से बच्चे की पीठ पर हल्के हाथों से गोलाई में मसाज करें।
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पेट की मालिश "I Love U" तकनीक से करें । यह पेट की गैस (gas in stomach) को निकालने में मददगार होती है।
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मालिश करते समय बच्चे का मूड भी बेहतर होता है, जिससे वह ज्यादा शांत महसूस करता है।
7. पॉज़िशन बदलें (Change the Position)
अगर बच्चा लेटे हुए हिचकी ले रहा है, तो उसकी पोजिशन बदलना एक सरल और असरदार उपाय है।
क्या करें:
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बच्चे को गोदी में लेकर सीधा बैठाएं या कंधे से लगाकर रखें।
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6 महीने से ऊपर के बच्चों को कुछ समय के लिए tummy time दें।
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कभी-कभी हल्के से झुलाने से भी हिचकी शांत हो सकती है।
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पोजिशन बदलने से डायाफ्राम की स्थिति भी बदलती है, जिससे हिचकी रुकने में मदद मिलती है।
8. बच्चों को हल्का गुनगुना पानी या दूध पिलाएं (Give Lukewarm Water or Milk to Children)
अगर आपका बच्चा 6 महीने से बड़ा है और सॉलिड या पानी लेना शुरू कर चुका है, तो थोड़ा सा गुनगुना पानी या माँ का दूध देने से भी हिचकी शांत हो सकती है।
कैसे दें:
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एक चम्मच या बोतल से थोड़ा-थोड़ा पानी दें।
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माँ का दूध भी हिचकी को शांत करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इससे डायाफ्राम स्थिर होता है।
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ध्यान रहे, 6 महीने से छोटे बच्चों को पानी नहीं देना चाहिए।
9. बच्चे को आरामदायक और शांत वातावरण दें (Provide a Comfortable and Calm Environment For the Child)
कभी-कभी ज़्यादा शोर, तेज़ रोशनी या बार-बार गोदी में उठाने से भी बच्चे का सिस्टम थोड़ा confused हो जाता है, जिससे हिचकी शुरू हो सकती है।
क्या करें:
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बच्चे को शांत और आरामदायक वातावरण दें।
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लाइट धीमी रखें, आवाज़ें कम करें।
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बच्चे को धीरे से सुलाएं या लोरी सुनाएं।
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जितना बच्चा शांत महसूस करेगा, उतनी जल्दी उसकी हिचकी भी शांत होगी।
10. बोतल तथा निप्पल की अच्छे से जांच करें Check the Bottle and Nipple
बाजार में कई तरह की बोतलें और निप्पल मिलते हैं, लेकिन अगर वो सही डिज़ाइन के न हों, तो दूध के साथ हवा भी अंदर जा सकती है, जिससे हिचकी हो सकती है।
टिप्स:
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एंटी-कोलिक बोतल का इस्तेमाल करें, जिसमें हवा कम जाती है।
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निप्पल की साइज़ बच्चे की उम्र के अनुसार हो।
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हर कुछ सप्ताह में बोतल और निप्पल की स्थिति जांचें – कहीं क्रैक या लीक तो नहीं?
एक सही बोतल और निप्पल आपके शिशु को हिचकी से बचा सकते हैं और फीडिंग को आरामदायक बना सकते हैं।
क्या न करें जब बच्चे को हिचकी आए What Not to do When Your Baby has the Hiccups
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बच्चे को डराएं नहीं
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बड़ों पर यह ट्रिक कभी-कभी काम करती है, लेकिन बच्चों पर नहीं।
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तेज़ी से हिलाना-डुलाना या झटका देना खतरनाक हो सकता है।
कब डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है? When is It Necessary to Contact a Doctor?
अगर नीचे दिए गए लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें:
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बच्चा दूध पीने से मना कर रहा हो
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लगातार रो रहा हो
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उल्टी हो रही हो
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बहुत बार या बहुत लंबे समय तक हिचकी हो रही हो
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वजन बढ़ने में परेशानी हो रही हो
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सांस लेने में तकलीफ हो रही हो
निष्कर्ष (Conclusion):
बच्चों की हिचकी (hiccups in infants) अक्सर सामान्य होती है, लेकिन माता-पिता को जानकारी और सही कदम उठाने की ज़रूरत है। डकार दिलाना, सही फीडिंग पोजिशन, मालिश, और थोड़ी सी सावधानी से आप बच्चे की हिचकी को बिना दवा के आराम से रोक सकते हैं। यदि समस्या बनी रहती है या अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने नजदीकी नवजात शिशु चिकित्सक से परामर्श करने में देरी न करें।
Frequently Asked Questions
हाँ, नवजात शिशु को हिचकी आना सामान्य है और यह उनके विकास का हिस्सा होता है।
हाँ, यह बिल्कुल सामान्य है और अधिकतर बच्चों को दिन में कई बार हिचकी आ सकती है।
हिचकी (hiccups) आमतौर पर कुछ मिनट से लेकर 10-15 मिनट तक रह सकती है।
बच्चे को थोड़ी देर गोद में सीधा पकड़ें या धीरे-धीरे डकार दिलाने की कोशिश करें।
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